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Bhasha Aur Boli Mein Kya Antar Hai | भाषा और बोली में क्या अंतर है?

Bhasha Aur Boli Mein Kya Antar Hai: भाषा किसी देश या स्टेट के बिच में उपयोग की जाने वाली संचार प्रणाली है, जिसकी मदद से हम एक दुसरे के साथ कम्यूनिकेट कर पाते है और एक दुसरे को समझ पाते है और वही हम बोली की बात करे तो बोली एक मौखिक बोली है, जोकि हम अपने शब्दों के माध्यम से दुसरो तक अपनी बात पहुंचा पाते है. बोली कहलाती है.

जैसा की आप सभी को पता है की हम सदियों से अपनी जनजातिओं के साथ कम्यूनिकेट करने के लिए भाषा और बोली का इस्तेमाल करते आ रहे है, जोकि समय के साथ ही अपडेट भी होती जा रही है, और देशों के अनुसार भाषा और बोली में अंतर भी देखने को मिलता है.

Bhasha Aur Boli Mein Kya Antar Hai
Bhasha Aur Boli Mein Kya Antar Hai

अगर आपको भी नहीं पता है की भाषा और बोली में क्या अंतर है तो ये पोस्ट खास आपके लिए ही है. जहाँ पर हम आपको आसान शब्दों में भाषा और बोली के बिच में क्या अंतर है इसके बारे में बारीकी से बता सकेगें. इसलिए आप हमारे साथ इस पोस्ट में शुरू से लेकर अंत तक जरुर बने रहे.

Bhasha Aur Boli Mein Kya Antar Hai?

भाषा:

भाषा एक समुदाय व् 2 देशो के बिच में कनेक्टिविटी करने की एक संचार प्रणाली है, जोकि सभी देशो के हिसाब से लोगो के साथ कम्यूनिकेट करने की शब्दावली अलग अलग होती है और भाषा के कुछ स्पेशल अलग नियम होते है, जोकि व्याकरण और sentance के साथ संबंधित होते है.

यदि हम इसको आसान शब्दों में कहे तो भाषा एक नियम और अर्थो के साथ ही साथ शब्दों के सम्लित व्याकरणों का शब्दजाल है. जोकि ये नियमों के हिसाब से ही चलती है, जिसको हम भाषा के नाम से जानते है.

भाषा के प्रकार:

  • इंग्लिश
  • हिंदी
  • पंजाबी
  • उर्दू
  • तमिल
  • तेलगु
  • मराठी
  • गुजराती
  • कन्नडा
  • बंगला
  • उड़िया
  • नेपाली आदि.

Bhasha Aur Boli Mein Kya Antar Hai

बोली:

किसी भी छेत्र या कस्बे बोली जाने वाली भाषा को बोली कहा जाता है, इसके लिए कोई स्पेशल रूल्स या व्याकरण को फॉलो नहीं करना होता है, बल्कि इस भाषा में आप किसी के साथ कम्यूनिकेट करने के लिए words की भी हेर फेर कर सकते हो, कोई फरक नहीं पड़ता है.

परन्तु हम आपको आपकी जानकारी के लिए बता दे की बोली भी एक भाषा है जोकि मोखिक रूप से बोली जाती है, और ये बोली पुरे Globley Wise नहीं बोली जा सकती है बल्कि ये किसी एक समूह या कस्बे तक ही सिमित होती है. जोकि ये बोली हर छेत्र में अलग अलग भाषाओं के आधार पर परिभाषित की जाती है. इसलिए बोली जगह जगह पर बदलती रहती है.

नोट – भाषाओं को सभी देश और राज्यों के अधिकारिकी रूप से अपनाया जाता है, जोकि अक्सर पुरे समाज को एक दुसरे के साथ connect करने में मदद करता है लेकिन बोली एक particular area के अंदर ही बोली जाने वाली कम्युनिकेशन/संचार प्रणाली है. जोकि हमे सिर्फ लोकल एरिया में ही connect रहने में मदद करती है. जिसको अक्सर लोग माँ-बोली के नाम से भी जानते है.

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भाषा मुख्य रूप से कितने प्रकार की होती है?

भाषा मुख्य रूप से 2 प्रकार की होती है, जोकि हमने निचे बताया है.

पहला – मौखिक भाषा, जिसको हम एक दुसरे के साथ बोलकर व्यक्त करते है, मौखिक भाषा या बोली के नाम से जानते है. इस बिच बोली के और भी कई सारे variants मौजूद होते है, जोकि राज्य और कस्बे के आधार पर तय किये जाते है.

दूसरा – लिखित भाषा, जोकि हम एक दुसरे के साथ connect रहने के लिए लिखित रूप में इस्तेमाल करते है, जिसके कुछ नियम भी लागू होते है और उन भाषा की मदद से हम ग्लोबली कनेक्ट भी हो सकते है, लेकिन लोकल मा-बोली भाषा की मदद से हम ग्लोबली कनेक्ट नहीं हो सकते है.

हमे उम्मीद है की आपको Bhasha Aur Boli Mein Kya Antar Hai के बारे में अच्छे से जानकारी मिल सकी होगी. अगर अभी भी आपके दिमाग में किसी भी प्रकार का कोई भी सवाल हो तो, आप हमे कमेंट्स में बता सकते हो. हम आपके सभी सवालों का जवाब देने में आपकी मदद करेगें.

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